आपदा राहत बचाव के मोर्चें पर डटे रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, तस्वीरें खुद बयां कर रही है मुखिया का एक्शन और अधिकारियों की तत्परता।
देहरादून – उत्तराखंड में शुक्रवार देर रात से आई प्राकृतिक आपदा के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी लगातार बचाव और राहत के मोर्चे पर डटे रहे। शनिवार को दिनभर वह आपदा प्रभावितों के बीच पहुंचकर उन्हें ढाढस बंधाते रहे। सरकारी मशीनरी को एक्टिव करते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि अधिकारी सदैव अलर्ट मोड पर रहें और विपरीत हालात होने पर त्वरित कार्रवाई करें। जनता को महसूस होना चाहिए कि शासन-प्रशासन को उनकी परवाह है।
तूफानी दौरा कर मुख्यमंत्री हर उस स्थान पर पहुंचे जहां के लोगों पर प्रकृति ने कहर बरपाया है। जब भू कटाव और जलभराव की वजह से वाहन आगे नहीं बढ़ पाया तो मुख्यमंत्री धामी समय गंवाए बगैर कहीं जेसीबी में बैठकर तो कहीं पैदल चलकर पीड़ितों के बीच पहुंचे।
शनिवार की सुबह देहरादून के कुछ स्थानों में अतिवृष्टि से आपदा आने की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों निरस्त कर आपदा प्रभावित क्षेत्रों की ओर निकल पड़े। स्थानीय विधायकों, कमिश्नर और डीएम को साथ लेकर उन्होंने थानो, कुमाल्डा एवं उसके आसपास के आपदा प्रभावित क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण कर नुकसान का जायजा लिया।
सबसे पहले थानों मार्ग पर क्षतिग्रस्त पुल का निरीक्षण करते हुए मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि आवागमन को सुचारू करने के लिए अति शीघ्र वैकल्पिक व्यवस्था की जाए। इस मार्ग पर यातायात सुचारू करने का काम युद्धस्तर पर किया जाए। मुख्यमंत्री ने बचाव और राहत कार्य की मॉनीटरिंग अपने हाथ में लेते हुए कहा कि विपदा की घड़ी में ही सरकार की असली परख होती है। सरकारी तंत्र को साबित करना चाहिए कि सरकार जनता के लिए है और विपरीत हालात में जनता के साथ खड़ी है। धामी ने अधिकारियों से दो टूक कहा है कि आपदा पीड़ितों को राहत पहुंचाने में कोई कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। धामी ने पूरा दिन आपदा पीड़ितों के बीच बिताया।
मौजूद अधिकारियों को उन्होंने प्रभावित परिवारों की हर समस्या का समाधान प्राथमिकता के साथ करने के निर्देश दिए। मोर्चे पर डटे मुख्यमंत्री से प्रेरित होकर समूची मशीनरी मैदान से लेकर पहाड़ तक हरकत में दिखी। रेस्क्यू अभियान की खुद अगुवाई करके धामी ने पूरे सिस्टम को राहत के काम में झोंके रखा।
पीड़ितों का दुख-दर्द बांटने के बाद मुख्यमंत्र ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन कन्ट्रोल रूम में प्रदेशभर की जानकारी ली। आपदा प्रबन्धन से जुड़े उच्च अधिकारियों के साथ विचार विमर्श किया। पौड़ी, टिहरी व अल्मोड़ा के जिलाधिकारियों को लाइन पर लेकर कर उन्होंने खुद को नुकसान की जानकारी से अपडेट किया। मुख्यमंत्री ने लापता लोगों को ढूढ़ने, रास्तों में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने, बंद पड़े मार्गों को खोलने के साथ ही प्रभावितों को खाद्यान पेयजल तथा चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिये। अफसरों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया कि पीड़तों को खाद्यान्न, दवाईयों और ईंधन की कोई कमी नहीं होनी चाहिए। उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ठहराया जाए।
मुख्यमंत्री ने ऐसा सिस्टम बनाने को कहा कि राज्य मुख्यालय से प्रसारित सूचना सीमान्त क्षेत्रों तक अविलंब पहुंच जाए। लगे हाथ उन्होंने वाडिया इंस्ट्यिट एवं हेस्को के विशेषज्ञों की एक टीम से आपदा ग्रस्त क्षेत्रों का निरीक्षण करवाया। यह टीम आपदा से होने वाले नुकसान को रोकने के सम्बन्ध में भी अपने सुझाव सरकार को देगी।
इसी बीच मुख्यमंत्री मैक्स अस्पताल पहुंचे। उन्होंने स्वंय घायलों का हाल चाल जाना तथा उनके शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। चिकित्सकों से कहा कि घायलों के उपचार में किसी भी प्रकार की कमी न रखी जाए।
देर शाम मुख्यमंत्री ने अतिवृष्टि से प्रभावित देहरादून के टपकेश्वर मन्दिर क्षेत्र का भी स्थलीय निरीक्षण किया और स्थिति का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को भविष्य में आपदा से होने वाले नुकसान को कम करने की कार्ययोजना पर ध्यान देने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने टपकेश्वर मन्दिर में पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की भी कामना की। मुसीबत की घड़ी में तकरीबन 7 घण्टे तक तूफानी दौरे, त्वरित फैसले और कड़क मॉनिटरिंग से मुख्यमंत्री धामी ने अपने कौशल का परिचय दिया है।