हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब – IAS जांच में कर रहे थे सहयोग, तो गिरफ्तारी क्यों ?
Devbhumilive Uttarakhand Nainital Dehradun Report News Desk
नैनीताल – उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोपी समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव राम विलास यादव की गिरफ्तारी पर रोक मामले में सरकार से 19 जुलाई तक शपथपत्र पेश करने को कहा है।
मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान सरकार से कहा कि जब राम विलास जाँच में सहयोग कर रहे थे तो इन्हें क्यों गिरफ्तार किया गया ? सरकार की तरफ से कहा गया कि विजिलेंस ने इन्हें जाँच के लिए कई बार बुलाया लेकिन ये उपस्थित नहीं हुए। बुधवार को जाँच के दौरान इन्होंने किसी भी सवाल का सकारात्मक उत्तर नहीं दिया। इन्होंने अपनी आय से 522 गुना अधिक सम्पति अर्जित की है। इनकी पत्नी को भी जाँच के लिए बुलाया गया, परन्तु वे भी उपस्थित नहीं हुई। राम विलास यादव न्यायालय के आदेश पर विजिलेंस के सम्मुख पेश हुए थे। जहाँ विजिलेंस ने पूछताछ कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
गुरूवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय को बताया गया कि उनपर आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोप लगाए गए है, जो लगत है। उनकी लड़की विदेश में, लड़का सुप्रीम कोर्ट में अधिवक्ता, उनकी पत्नी कालेज की प्रबंधक और खुद वे आई.ए.एस.अधिकारी हैं। यह सम्पति उनकी मेहनत से अर्जित की गई है। जिस व्यक्ति ने उनके खिलाफ शिकायत दर्ज की उसके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे चल रहे है। इस मामले में उनको अपना पक्ष रखने का मौका तक नहीं दिया गया। सरकार ने जो कमेटी गठित की थी उनको पक्ष रखने से पहले ही भंग कर दिया गया।
सरकार की तरफ से कहा गया कि विजिलेंस टीम ने इनको कई बार अपना पक्ष रखने के लिए बुलाया परन्तु ये उपस्थित नहीं हुए, बजाय इसके ये मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव और कई मंत्रियों से मिले।
मामले के अनुसार आई.ए.एस.राम विलास यादव उत्तराखंड सरकार में समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर कार्यरत हैं। पूर्व में यादव उत्तर प्रदेश सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव भी रह चुके है। इनके खिलाफ लखनऊ में एक व्यक्ति द्वारा आय से अधिक सम्पति रखने की शिकायत दर्ज की गई थी। जिसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने जाँच शुरू की। विजिलेंस टीम ने इनके लखनऊ, देहरादून और गाजीपुर के ठिकानों पर छापा मारा जिसमे सम्पति से सम्बन्धी कई दस्तावेज मिले। जाँच करने पर इनके खिलाफ आय से 500 से अधिक गुना अधिक सम्पति मिली। इसके आधार पर सरकार ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने माननीय उच्च न्यायलय की शरण ली। यादव उत्तर प्रदेश सरकार में एल.डी.ए.सचिव के साथ साथ मंडी परिषद के निदेशक भी रह चुके है। यादव को गुरूवार को विजिलेंस के सम्मुख पेश होना था।