किशोर उपाध्याय को कांग्रेस ने 6 साल के लिए किया निष्कासित, BJP में हो सकते हैं शामिल।
Devbhumilive Uttarakhand Garhwal srinagar Report Tanuj Badoni
श्रीनगर – उत्तराखंड के पूर्व कांग्रेस प्रमुख किशोर उपाध्याय को कांग्रेस ने छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है। भाजपा से उनकी नजदीकियों की खबरों के बीच पार्टी ने उन्हें सभी पदों से पिछले दिनों हटा दिया था। हालांकि उपाध्याय ने उन्हें लेकर की जा रही चर्चा पर अपना स्पष्टीकरण भी भेजा था। ऐसे में सूत्रों का कहना है कि किशोर उपाध्याय भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। सूत्रों के मुताबिक उपाध्याय टिहरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं।
उपाध्याय को लेकर लंबे समय से ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी और उनके हर मूवमेंट को संदेह की नजर से देखा जा रहा था। कभी पीएम नरेंद्र मोदी की देहरादून में हुई रैली में उनके भाजपा में शामिल होने की अफवाह उड़ी। कभी उनके दूसरे दलों में जाने की चर्चा रही। अटकलों के दौर के बीच किशोर ने कहा था कि वनाधिकार के मुद्दे पर वे सभी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं।
बीते दिनों पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को सभी पदों से हटा दिया था। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने किशोर उपाध्याय को सभी पदों से हटाने का आदेश जारी किया था। आदेश में देवेंद्र यादव ने कहा था कि उत्तराखंड के लोग बदलाव के लिए तरस रहे हैं और बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंकने का इंतजार कर रहे हैं। कुशासन और बाजेपी नेतृत्व से लोगों में व्यापक गुस्सा है। पत्र में कहा गया कि चुनौती का सामना करना और उत्तराखंड की देवभूमि और यहां के लोगों की सेवा करना हम में से प्रत्येक का कर्तव्य है। लेकिन दुख की बात है कि किशोर उपाध्याय इस लड़ाई को कमजोर करने और लोगों के हितों को कमजोर करने के लिए बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों के साथ मिलनसार हैं।
साथ ही यह भी कहा गया था कि किशोर उपाध्याय को व्यक्तिगत रूप से कई चेतावनियों के बावजूद उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं। जिसके चलते किशोर उपाध्याय को पार्टी के सभी पदों से हटाया जाता है और आगे की कार्रवाई लंबित है।
44 साल से कांग्रेस से जुड़े हैं किशोर
किशोर उपाध्याय वर्ष 1978 से कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। पार्टी के साथ उनका लंबा साथ रहा है। वर्ष 2002 और वर्ष 2007 में वे टिहरी से विधायक रहे। वर्ष 2012 में वे टिहरी से चुनाव हार गए थे। 2017 में वे अपनी परंपरागत सीट टिहरी को छोड़ कर चुनाव लड़ने देहरादून सहसपुर सीट पर पहुंचे। यहां से भी उन्हें हार मिली। 2014 में उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे 1991 से ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सदस्य भी रहे।