एनआरएमएस की हुई बैठक, वनाग्नि को रोकने के लिए चलाया जाएगा अभियान

Devbhumilive Uttarakhand Garhwal srinagar Report Tanuj Badoni
श्रीनगर गढ़वाल  –  उत्तराखंड में गर्मियों के सीजन आते ही वनाग्नि की घटनाएं शुरू हो जाती है। हर साल हजारों हेक्टेयर वनभूमि जलकर राख हो जाती है।  जिसमें बेसकीमती  वनस्पतियां और जीवजन्तुओं को नुकसान पहुँचता है। इसके लिए सरकारी स्तर पर कई प्रयास होने के बावजूद सफलता नहीं मिलती है और हर साल इसके कारण ढूंढे जाते है।
उत्तराखंड में वनाग्नि के बढ़ते मामलों के मध्य नजर नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट सोसायटी (एनआरएमएस) के द्वारा इस वर्ष कुछ विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। एनआरएमएस की यहां सपंन्न हुई बैठक में वनाग्नि  को रोकने के लिए उपाय ढूंढने पर चर्चा की गई।
 बैठक में निर्णय लिया गया कि इस बार  एनआरएमएस द्वारा वनाग्नि की घटनाओं को रोकने में सक्रिय भूमिका निभाई जाएगी। जिसके लिए गढ़वाल के पांच पर्वतीय जनपदों में सबसे ज्यादा वनभूमि वाले 10-10 गांव चयनित करके उन गाँवो में स्वयंसेवक रखेगी। ये स्वयंसेवक वनाग्नि रोकने के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पर्यावरण के प्रति आमजनों की  सहभागिता बढ़ाने के लिए कार्य करेगें।
 चयनित गांव की सूची और अपने सदस्यों की पूरी जानकारी वन विभाग को मुहैया करवाएगी। जिससे वनाग्नि के समय एनआरएमएस अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेगी।
बैठक में बतौर मुख्य वक्त पर्यावरणविद रमेशचंद्र बौड़ाई ने कहा की इस अभियान में हमे शैक्षणिक संस्थानों व सामाजिक कार्यकर्ताओ को साथ लेना होगा। गढ़वाल विवि के प्राध्यापक डॉ कपिल  पंवार ने कहां की वनाग्नि की घटनाओं को रोक लगे इसके लिए वन पंचायतों व ग्राम पंचायतों को आग बुझाने के आधुनिक संसाधन उपलब्ध कराने होंगे।
अध्यक्ष डॉ विकास नोटियाल ने कहाँ की  हमे आग बुझाने के पारंपरिक ज्ञान के साथ साथ आधुनकि संसाधनो पर भी ध्यान देना होगा। इस कार्य मे हमें युवाओं की सहभगिता भी तय करनी होगी।  इस अवसर पर युद्धवीर पँवार, अंकित भण्डारी, गौरव रावत, वीरपाल गुसाई, अभिलाष रावत आदि ने अपनी बात रखी।

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