पीयूष जोशी की पहल का हुआ असर। बेसहारा पशुओं से दुर्घटनाओं पर मानवाधिकार आयोग की सख्त कार्रवाई।
लालकुआं/हल्द्वानी – उत्तराखंड के लालकुआं,हल्द्वानी व अन्य क्षेत्रों में आवारा पशुओं की वजह से हो रही बढ़ती दुर्घटनाओं पर मानवाधिकार आयोग ने बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। इस गंभीर समस्या को लेकर प्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट और मानवाधिकार कार्यकर्ता पीयूष जोशी ने आयोग को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद प्रशासन पर अब सख्ती बढ़ाई जा रही है।
आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड सरकार, मुख्य सचिव, कुमाऊं मंडल के आयुक्त और नगर पंचायत लालकुआं को नोटिस जारी कर 2 जनवरी को जवाब देने के निर्देश दिए है।
लालकुआं, हल्द्वानी और आसपास के क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं के चलते कई दुर्घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई है। जोशी ने अपनी शिकायत में कहा कि पिछले एक साल में कई मौतें बेसहारा गौवंश के कारण हुई हैं। इसमें मुख्य रूप से:
– 27 अप्रैल 2024 को योगेश (25 वर्ष) की लालकुआं में सांड से टकराकर मौत हो गई।
– 30 मई 2024 को विपिन तिवारी (46 वर्ष) की हल्दूचौड़ में आवारा गाय से टकराने पर मृत्यु हो गई।
– 20 जुलाई 2024 को प्रिया शर्मा (28 वर्ष) की लालकुआं में आवारा गाय से टकराकर मृत्यु हो गई।
इन घटनाओं ने पूरे क्षेत्र में बेसहारा पशुओं की समस्या को उजागर कर दिया है और इसे लेकर स्थानीय लोगों में आक्रोश भी बढ़ रहा है।
पीयूष जोशी ने प्रशासन को साफ चेतावनी दी है कि अगर इस समस्या का समाधान जल्दी नहीं निकाला गया, तो वह अदालत का सहारा लेंगे। उन्होंने कहा कि यह केवल दुर्घटनाओं का मामला नहीं है, बल्कि यह लोगों के जीवन और सुरक्षा के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि वह इसके लिए उत्तराखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका (PIL) दाखिल करेंगे और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (SLSA) के माध्यम से कानून के तहत न्याय की मांग करेंगे।
पीयूष जोशी, प्रदेश अध्यक्ष, RTI एक्टिविस्ट एसोसिएशन, उत्तराखंड ने कहा कि यह समस्या केवल नैनीताल जिले तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे उत्तराखंड में फैलती जा रही है। अगर समय रहते इस पर काबू नहीं पाया गया तो और भी अधिक दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता है ताकि आम नागरिकों का जीवन और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके,मूल समस्या पर काम किया जाये,जिले के बार्डरो पर आने जाने वाले पशुओ की सघन चेकिंग हो,पशुओ को आवारा छोड़ रहे लोगो व संस्थाओ का चिन्हीकरण कर ठोस कार्यवाही की जाए,प्रशाशन से वार्ता कई बर कर चुके है कुछ सकारात्मक परिणाम भी आये है। समस्या हल नही हुई तो कोर्ट जाएंगे।