हल्द्वानी स्टेशन को बचाने के लिए वायरक्रेट दीवार बनाने की योजना
नैनीताल जिले में लगातार हो रही बारिश का असर अब हल्द्वानी में भी साफ देखने को मिल रहा है। बारिश के कारण गौला नदी का जलस्तर बढ़ने से हल्द्वानी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन को बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है।
नदी के पानी से रेलवे पटरी के पास भू कटाव शुरू हो गया है जिससे रेलवे संचालन में भी असर पड़ सकता है जिसके बाद एसडीएम मनीष कुमार ने आज टीम के साथ हल्द्वानी और काठगोदाम रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि खतरे को देखते हुए यहां पर चैनलाइजिंग और प्रोटेक्शन वॉल बनाई जा रही है साथ ही कटाव बढ़ने पर रेलवे यातायात भी प्रभावित हो सकता है। रेलवे के साथ ही वन विभाग के अधिकारियों को जल्द से जल्द काम पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं लोगों से भी अपील की जा रही है कि आपदा की स्थिति में तत्काल प्रशासन से संपर्क करें।
रेलवे ने हल्द्वानी स्टेशन को बचाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। गौला नदी के कटाव से बचाने के लिए 100 मीटर वायरक्रेट दीवार बनाने की योजना है। पर नदी का बहाव अधिक होने के कारण काम करने में अड़चन आ रही है। इसके मद्देनजर नदी की धारा को मोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। इन सुरक्षा कार्यों का जायजा लेने डीआरएम पहुंचीं और दिशा-निर्देश दिए।
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन के पास गौला नदी कटाव कर रही है, इस नुकसान को रोकने की कोशिश की जा रही है। पर अभी सफलता नहीं मिली है। बहाव स्टेशन की तरफ काफी तेज है, ऐसे में तेजी से काम करने का मौका नहीं मिल पा रहा है। रेलवे की योजना है कि किसी तरह बहाव का प्रभाव कम हो और तत्काल सबसे संवेदनशील जगह पर 100 मीटर की वायरक्रेट लगा दी जाए जिससे बाद में नदी का तेज बहाव होगा तो भी बोल्डर की दीवार होने के कारण कटाव से बचाव हो सकेगा। ऐसे में रेलवे ने नदी के दूसरे छोर की तरफ से भी नदी के बहाव को डायवर्ट करने की कोशिश में जुटा है।
विभाग की योजना है कि नदी में क्यूनेट बनाकर बहाव को टुकड़ों में बांटकर निकाला जाए, जिससे स्टेशन की तरफ बहाव कम हो सके। इसके लिए कई जेसीबी और पोकलैंड लगाई गई हैं। डीआरएम रेखा यादव समेत अन्य उच्चाधिकारी भी मौके पर पहुंचे और कार्यों का निरीक्षण किया है। रेलवे अधिकारियों के अनुसार एक सप्ताह का समय मिल जाएगा तो वायरक्रेट की दीवार तैयार कर दी जाएगी, इसके लिए सभी तैयारी है।
रेलवे ने भू-कटाव को रोकने के लिए यहां सोमवार को पत्थर डालने का काम किया। श्रमिकों को लगाकर लगातार पत्थर डाले जा रहे थे। भू-कटाव बढ़ता जा रहा है। यहां वायरक्रेट भी लगाने के लिए रखा गया है। रेलवे के अनुसार गौला नदी में पत्थर डालने के लिए 100 से ज्यादा श्रमिकों को लगाया गया है। सबसे बड़ी दिक्कत गौला के बहाव से है। रेलवे के अधिकारियों के अनुसार गौला का बहाव लगातार बढ़ता जा रहा है जिस वजह से बचाव काम करने में दिक्कत आ रही है।
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की पटरियों के बचाव के लिए रेलवे लगातार काम कर रही है। गौला नदी का रुख मोड़े जाने का काम किया जा रहा है, जिससे रेलवे स्टेशन की तरफ कटाव कम हो। मशीनें लगी हुई हैं, संबंधित कार्यों का निरीक्षण किया गया है।
हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की सुरक्षा को लेकर रेलवे का बचाव कार्य लगातार जारी है। रेलवे ने स्टेशन को बचाने के लिए तो प्लान बनाया है, लेकिन इन सबके बीच अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की भी चिंता सताने लगी है।
रेलवे की टीम गौला के स्टेडियम वाले छोर से छह पोकलैंड लगाकर नदी का बहाव मोड़ने का कार्य करने में लगी है जिससे सुरक्षात्मक कार्य किया जा सके। जहां काम चल रहा है, उससे कुछ ही दूरी पर स्टेडियम है। यहां मशीनों के जरिए काम चल रहा है। ऐसे में सवाल यह भी उठ रहा है कि बहाव तेज हुआ और नदी का रुख बदला तो कहीं स्टेडियम की सुरक्षा खतरे में न पड़ जाए।
वहीं, वन विभाग और प्रशासन की टीम दोपहर में हल्द्वानी स्टेशन के निरीक्षण के लिए गई थी, लेकिन दूसरे छोर पर हो रहे काम को देखने की जहमत किसी ने नहीं उठाई।
एसडीएम मनीष कुमार का कहना है कि रेलवे का सुरक्षात्मक काम सिंचाई विभाग की निगरानी में चल रहा है और गौला के बहाव को मध्य में लाने का प्रयास किया जा रहा है। स्टेडियम की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। डीएफओ संदीप कुमार का कहना है कि इस संबंध में वन क्षेत्राधिकारी से रिपोर्ट ली जाएगी, इसके बाद ही कुछ कहना ठीक होगा।