श्री महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थिति में हुई मौत। नरेंद्र गिरि के जाने से संत समाज और सनातन धर्म को हुई बहुत बड़ी।

Devbhumilive Uttarakhand Haldwani Report News Desk
हरिद्वार –  अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के श्री महंत नरेंद्र गिरी की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई है।
श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी की इस तरह अचानक मौत होने से निरंजनी अखाड़ा हरिद्वार में गमगीन सन्नाटा छा गया है। जिस अखाड़े में हमेशा संत दिखाई देते रहते थे वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ है श्री महंत के इस तरह से जाने का अखाड़े के सभी संतो को बेहद दुख है कोई भी संत इस बात को मानने को तैयार नहीं कि श्रीमहंत नरेंद्र गिरि कभी भी आत्महत्या कर सकते हैं। श्री महंत नरेंद्र गिरि के जाने से संत समाज और सनातन धर्म को बहुत बड़ी हानि हुई उनकी पूर्ति हो पाना नामुमकिन है।
श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी की मौत के बाद पुलिस ने उनके शिष्य आनंद गिरि को हिरासत में ले लिया है। श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी की मौत के बाद मिले सुसाइड नोट में सबसे पहले उनके शिष्य आनंद गिरी और 2-4 कुछ और लोगों के नाम आया है। जो बाघमबारी गद्दी के हैं। इस पर पुलिस ने हिरासत में लिया है।
निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत राम रतन गिरी।

 

जब श्री महंत नरेंद्र गिरि की मौत के बाद मिले सुसाइड नोट में उनके शिष्य आनंद गिरि का नाम आने और उनके श्री महंत से उनके संबंधों के बारे में निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत राम रतन गिरी से पूछा गया तो उन्होने बताया कि  आनंद गिरि भीलवाड़ा जिले के खंडेलवाल परिवार से है और 15 वर्ष की उम्र में  2000 में उन्होंने सन्यास लिया यहां पर महंत थे नरेंद्र गिरी जी, उसके बाद महंत जी का चयन 2004 में बागांबरी में महंत के रूप में हो गया था तो ये महंत जी के साथ चला गया था वही उसने पढ़ाई लिखाई की कथा शुरू की और उसके बाद जब तक ठीक चलता रहा यदि तो विवाद कुंभ मेले के बाद हुआ है। श्री महंत नरेंद्र गिरी का आनंद गिरि से 8 बीघा की एक जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। उस जमीन को श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी ने आनंद गिरि के नाम पर 30 वर्ष के लिए लीज पर किया था। क्योंकि उस जमीन पर  श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी उस जमीन  पेट्रोल पंप खुलवाना चाहते थे। और पेट्रोल पंप जिसके नाम जमीन होगी उसके नाम पर खुलता है इसलिए श्रीमहन्त नरेंद्र गिरी ने 30 साल के वह जमीन लीज पर अपने शिष्य आनंद गिरि के नाम कर दो मगर बाद में संत होने के नाते उन्होंने पेट्रोल पंप खुलवाने का विचार त्याग दिया वहां पर धर्मार्थ चिकित्सालय अथवा गौशाला आदि खुलवाने के मन बनाया था और आनंद गिरि थे उस जमीन को वापस करने के लिए कहा जिस पर आनंद गिरि ने प्लाट को वापस करने से इंकार कर दिया था।इसी बात को लेकर गुरु शिष्य में विवाद हुआ और गुरु श्रीमहन्त नरेंद्र गिरि द्वारा श्री निरंजनी अखाड़े को पत्र लिखे जाने पर निरंजनी अखाड़े ने आनंद गिरि का अखाड़े से निष्कासन कर दिया और अब आनंद गिरि का निरंजनी अखाड़ा से कोई मतलब नहीं है ।
पूर्णिमा का पर्व था तो आनंद गिरि यहां पहुंच गये थे।उन्होंने श्रीमहन्त नरेंद्र गिरि से  कान पकड़कर माफी मांगी तब महेंद्र जी ने कहा चलो मैं संत हूं और क्या कर सकता हूं माफी मांग रहा है तो माफ करता हूं लेकिन गुरु पूर्णिमा के अलावा बाघमबारी गद्दी में आना नहीं। श्री महंत जी ने इसको इतनी पावर दे रखी थी आनंद गिरी को सब लोग छोटे महाराज बोलने लग गए थे। आनंद गिरि को तो 8- 10 साल पहले वसीयत भी कर दी थी कि मेरे बाद मठ बाघमबारी गद्दी के अध्यक्ष आनंद गिरि होंगे फिर महंत जी ने वो कैंसिल कर दी आनंद गिरि का आज की तारीख में अखाड़े से कोई मतलब नहीं है अखाड़े से उनको बाहर कर दिया है ।
निरंजनी अखाड़े के सचिव श्री महंत राम रतन गिरी का कहना है कि श्री महंत नरेंद्र गिरि जी के साथ हुई घटना बहुत बड़ी घटना है जिसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता अखाड़े में लोगों ने कल
खाना भी नहीं खाया वैसे तो वे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष थे लेकिन निरंजनी अखाड़े के सचिव थे और यह बहुत बड़ी क्षति हुई है इसकी भरपाई करना बहुत मुश्किल है अखाड़ों में काफी दुख है क्योंकि वह बहुत सक्रिय अध्यक्ष थे और यह सब के लिए हर समय खड़े हो जाते थे सारी व्यवस्था कराने के लिए तैयार हो जाते थे ,आनंद गिरि को इसलिए हिरासत में ले लिया क्योंकि सुसाइड नोट में सबसे पहले नाम है और कुछ अन्य लोगों का नाम भी है जो बाघमबारी गद्दी के हैं शासन को तो उनको हिरासत में लेना ही था, और मई में गुरु चेला का विवाद भी कई बार आ चुका था माफी भी मांगी है और उनको हमने अपनी संस्था से निष्कासित भी किया है यह सब चीजें देखते हुए। आनंद गिरि उनको मानसिक टेंशन दे रहा था।
निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि।

 

निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरि का कहना है कि श्री महंत नरेंद्र गिरि जी का और आनंद गिरि का विवाद तो सबको पता है और सुसाइड नोट में जो आनंद गिरी का नाम आया इसीलिए उसको गिरफ्तार किया गया बाकी उसमें जांच हो रही है और पूरे देश को मालूम हो गया और सभी ने अपना दुख प्रकट किया है हमारे संत समाज को बहुत क्षति हुई है मेरा व्यक्तिगत बहुत नुकसान हुआ है मेरा उनके साथ बहुत प्रेम था और मेरा बहुत आदर भी करते थे और जब तक सूरज चांद रहेगा उनका तब तक नाम रहेगा हमें विश्वास नहीं हो रहा कि वह ऐसा कर सकते हैं वह बहुत विल पावर वाले व्यक्ति थे और जब कोई बात संत की आती थी कुंभ में तो वह संत के लिए झगड़ा करने को तैयार हो जाते थे अगर उन्होंने ऐसी घटना की है तो उन्हें कहीं ना कहीं बहुत बड़ी ठेस पहुंची है जो भी इसमें दोषी होंगे जांच में सामने आएगा और उनको सजा मिलेगी

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