हरिद्वार में मां चंडी देवी और मां मनसा देवी मंदिर की क्या मान्यताएं हैं नवरात्रों में श्रद्धालुओं के लिए क्या महत्व होता है।

Devbhumilive Uttarakhand Haridwar Report News Desk
हरिद्वार  — नवरात्रों का पहला दिन है जो कि मां शैलपुत्री का पहला नवरात्रा है गुरुवार को हरिद्वार में मां मनसा देवी मंदिर में और चंडी देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की लंबी लंबी कतारें लगी हैं। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आए हैं। कोई पैदल यात्रा करके आया है तो कोई अपने वाहन से या उड़न खटोले से श्रद्धालु माता के भवन में मथा टेकने पहुंचे।
हरिद्वार में नवरात्रि का पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है। नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग अलग अवतारों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पांचवें दिन स्कन्दमाता की पूजा-अर्चना की जाती है भगवान स्कन्द यानी कार्तिकेय की माता होने के कारण इस पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है। यह कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसलिए इन्हें पद्मासन देवी भी कहा जाता है नवरात्रों में क्या कुछ मान्यता है
 मंगल चंडिका आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा आठवीं शताब्दी में स्थापित की गई मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए मंगल चंडिका का ध्यान किया जाता है. नवरात्रि के समय में जो भी भक्त माता से मन्नतें मांगते हुए मां की पूजा अर्चना करता है मां उसे जरूर पूरा करतीं हैं. जीर्णोद्धारमां चंडी देवी मंदिर के पुजारी पंकज रतूड़ी  के मुताबिक आठवीं शताब्दी में मां चंडी देवी का जीर्णोद्धार जगदगुरु आदि शंकराचार्य ने विधिवत रूप से कराया था. इसके बाद कश्मीर के राजा सुचेत सिंह ने 1872 में मंदिर का जीर्णोद्धार कराया. मां रुद्र चंडी एक खंभे के रूप में स्वयंभू अवतरित हैं
मां मनसा देवी मंदिर के पुजारी पंडित गणेश शर्मा ने बताया कि आज मां नवरात्रों मैं माता रानी आज के दिन सभी के घरों में विराजमान होती है और सभी भक्तों को आशीर्वाद देती है और उनकी मनोकामना पूर्ण करती है
और मां मनसा देवी के भवन में आए हुए श्रद्धालुओं ने बताया कि मां मनसा देवी के दरबार में आकर सुकून मिलता है और वह हर नवरात्रों में मां मनसा देवी के दरबार आते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है और वह बहुत श्रद्धा प्रेम भाव से माता रानी की सेवा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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