उगते सूर्य को अर्य्घ देने के साथ ही छठ पूजा पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुई।
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उगते सूर्य को अर्य्घ देने के साथ ही छठ पूजा पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुई।
Devbhumilive Uttarakhand Haridwar Report News Desk
हरिद्वार – लोक आस्था के पर्व छठ पूजा यानी डाला छठ यानी षष्ठी को हरिद्वार में भी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। छठ पूजा के दूसरे दिन गुरुवार को सुबह उगते सूर्य को अर्य्घ देने के साथ ही छठ पूजा पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ सम्पन्न हुई। हरिद्वार में रहने वाले बिहार और पूर्वांचल के लोग गुरुवार सुबह से ही हर की पौड़ी समेत गंगा के विभिन्न घाटों पर पर एकत्र थे जहाँ उन्होंने गाजे बाजे और आतिशबाजी के बीच विधिविधान के साथ उगते हुए साक्षात देव सूर्य को अर्य्घ दिया और उनसे मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना की। ऐसी मान्यता है कि जो भी सूर्य भगवान की आराधना सच्चे मन से करता है उसकी सभी कामनाएँ पूरी होती है और धन धान्य से पूर्ण हो जाता है और पुत्र रतन की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।
लोक आस्था का छठ पूजा पर्व का व्रत चतुर्थी को शुरू होकर सप्तमी को संपन होता है। इस दौरान सूर्य मेष राशिः में प्रवेश करते है और माना जाता है कि सूर्य भगवान की आराधना करने से सभी गृह अनुकूल हो जाते है। यह व्रत शादीशुदा महिलाओं के लिए ही होता है और सूर्य देव को अर्य्घ के साथ फल अदि भी अर्पित किये जाते है इस व्रत को करने से सुख शांति समृद्धि और मनोकामना पूर्ति की प्राप्ति होती है और परिवार के साथ ही देश का भी कल्याण होता है, विशेषकर यह वृत महिलाओं द्वारा पुत्र की प्राप्ति की कामना के लिए किया जाता है।
यह वृत एक कड़ी तपस्या है मगर इसको करने वाले को कोई कष्ट महसूस ही नहीं होता है कि उन्होंने वृत कैसे किया उनको पता ही नहीं चलता और वे मानते है कि यह सब भगवान का और छठ मईया की कृपा से होता है। वे इसको छठ मैय्या की कृपा ही मानते है, इस वृत की पौराणिक कहानी भी है और यह माना जाता है कि इसकी भगवान राम और पांडवों ने भी यह वृत किया है और तब से ही यह परंपरा चली आ रही है। यह भी मान्यता है कि सूर्य उपासना से जहां सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। वहीं मानव शरीर को बहुत से रोगों से भी छुटकारा मिल जाता है यानि उनके बहुत से रोगों का इलाज सूर्य उपासना से होता है। छठ पूजा का वृत चार दिन का है और इसे करना भी बेहद कठिन है मगर इसे करने वाले मानते है की उन्हें वृत करने में कोई परेशानी नहीं होती है और वे पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ वृत को करते है ।
यू तो छठ पूजा को पूर्वांचल का त्योहार माना जाता है और पूर्वांचल में ही इस त्यौहार को खास तौर पर मनाया जाता है। मगर अब इस पूजा को पूरे देश में ही मनाया जाने लगा है। छठ पूजा को मनाने के लिए हरिद्वार में भी दूर-दूर से लोग आते है। गंगा घाटों पर छठ मैय्या की गीतों को गाया जाता है। हरकी पोड़ी समेत गंगा के तमाम घाटों पर श्रद्धालुओं द्वारा उगते सूर्य को अर्ग्य देने के साथ ही चार दिन तक चला छठ पूजा का यह वृत संपन्न हो गया और अब अगले वर्ष छठ पर्व की प्रतीक्षा है ।