उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष ऐरी चुनाव नहीं लड़ेगे।

Devbhumilive Uttarakhand Pithoragarh Report Majoj chand
पिथौरागढ़  – उत्तराखंड राज्य की स्थापना में अहम भूमिका निभाने वाले उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी इस बार विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे है। पैसों की कमी काशी सिंह ऐरी की चुनाव लड़ने की नहीं लड़ने की प्रमुख वजह बताई जा रही है। हालांकि काशी सिंह ऐरी का खुद भी कहना है कि मौजूदा समय में हो रही धनबल और बाहुबल की राजनीति में स्वच्छ छवि के नेताओं के लिए जगह नहीं बची है।
उत्तराखंड क्रांति दल के केंद्रीय अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे। उनका कहना है कि मौजूदा समय में राजनीति का परिदृश्य पूरी तरह बदल गया है। आज की राजनीति धनबल और बाहुबल पर फोकस हो गई है ऐसे में उनके जैसे स्वच्छ छवि के नेताओं को अब चुनावी राजनीति से किनारा कर लेना चाहिए। इसे देखते हुए उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का मन बनाया है।
जिसके पीछे एक अहम वजह काशी सिंह ऐरी के पास धन की कमी भी बताई जा रही है। काशी सिंह ऐरी ने कहा वे पार्टी के हित में चुनाव लड़ाने पर अपना फोकस करेंगे, जिससे मौजूदा राजनीति में भी बदलाव कर सकें, काशी सिंह ऐरी ने मौजूदा राजनीति के तौर तरीकों पर भी चिंता जताई है। उनका कहना है कि मौजूदा समय में राजनीति सिर्फ पैसे पर आकर टिक गई है, आज की राजनीति में जन मुद्दे गायब हो गए हैं जो कि राजनीति का पूरी तरह ह्रास है ।ये काशी सिंह ऐरी के राजनीतिक जीवन का पहला मौका होगा जब वे विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे ।
आपको बता दें कि काशी सिंह ऐरी का एक लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। वे 1985 में डीडीहाट सीट से पहली बार उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे थे। अविभाजित यूपी में वे 1985, 1989 और 1993 में विधायक रहे। बल्कि 1996 में वे बिशन सिंह चुफाल से चुनाव हार गये थे। यही नहीं 2002 में वे कनालीछीना सीट से उत्तराखंड की पहली विधानसभा के लिए भी चुने गये। 2007, 2012 और 2017 में वे विधानसभा चुनाव हार गये थे। लंबा संसदीय अनुभव रखने वाले ऐरी को अविभाजित उत्तर प्रदेश में प्रखर विधायक के रूप में जाने जाते थे।  ऐरी जैसे नेताओं का सक्रिय राजनीति से बाहर होना उत्तराखंड के लिए भी कहीं न कहीं बड़ा राजनीतिक नुकसान कहा जा सकता है।
 काशी सिंह ऐरी ने सन 1972 में पिथौरागढ़ महाविद्यालय के छात्र संघ उपाध्यक्ष के तौर पर छात्र राजनीति में कदम रखा था। वे सन् 1979 में नैनीताल महाविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष भी रहे । 80 के दशक से ही पहाड़ की राजनीति में सक्रिय काशी सिंह ऐरी यूकेडी के शीर्ष नेताओं में शुमार है। उन्होंने उत्तराखंड आंदोलन के दौरान उत्तराखंड क्रांति दल की अगुवाई की थी और तब वे एक जननेता बनकर उभरे थे।  वे 1993-95, 2013-15 और 2021 से अब तक उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) के अध्यक्ष हैं। उत्तराखण्ड में यूकेडी को नई पहचान दिलाने में काशी सिंह ऐरी का अहम योगदान रहा है। लंबा राजनीति अनुभव रखने वाले ऐरी ने अब विधानसभा चुनाव लड़ने के बजाए चुनाव लड़ाने का फैसला लिया है।

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