संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कर्तव्य के पालन से स्वस्थ समाज की रचना होती है

Devbhumilive Uttarakhand Delhi Report News Desk
दिल्ली – संविधान दिवस के अवसर पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में कार्यक्रम आयोजित किया गया है। आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस के अवसर पर बोलते हुए बाबा अंबेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद और महात्मा गांधी सहित जैसे महानुभावों को याद करते हुए कहा कि कभी इस पवित्र जगह पर ही महीनों तक कुछ लोगों ने भारत के कुशल भविष्य के लिए मंथन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संविधान दिवस के साथ-साथ आज का दिन बड़ा दुःख भी है। आज के ही दिन आतंकियों ने देश के अंदर घुसकर मुंबई में आतंकी घटना को भी अंजाम दिया था। सुरक्षाबलों ने आतंकियों से लोहा लेते हुए अपना बलिदान दे दिया था। आजादी के आंदोलन में जिन-जिन लोगों ने बलिदान दिया उन सबको भी वह नमन करते हैं। भारत के अनेक वीर जवानों ने आतंकवादियों से लोहा लेते-लेते अपने आप को देश के लिए समर्पित कर दिया।आज 26/11 को उन सभी बलिदानियों को भी आदरपूर्वक नमन करते है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारा संविधान ये सिर्फ अनेक धाराओं का संग्रह ही नहीं है, यह संविधान सहस्त्रों वर्ष की महान परंपरा है, अखंड धारा उस धारा की आधुनिक अभिव्यक्ति है। इस संविधान दिवस को इसलिए भी मनाना चाहिए क्योंकि हमारा जो रास्ता है, वह सही है या नहीं है। इसका भी मूल्यांकन करने के लिए मनाना चाहिए।

पीएम मोदी ने बिना नाम लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि बाबासाहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती थी। हम सबको लगा इससे बड़ा पवित्र मौका क्या हो सकता है कि बाबासाहेब अंबेडकर ने इस देश को जो नजराना दिया है, उसको हम हमेशा एक स्मृति ग्रंथ के रूप में याद करते रहें। जब सदन में इस विषय पर उन्होंने 2015 में बोला था। बाबा साहेब अंबेडकर की जयंती के मौके पर संसद दिवस मनाने की घोषणा करते समय भी विरोध किया गया था। और यह विरोध आज ही नहीं हो रहा है, उस दिन भी हुआ था, कि 26 नवंबर कहां से ले आए, ऐसा क्यों कर रहे हो, इसकी क्या जरूरत थी। यह सब विपक्षों द्वारा कहा गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा संविधान की भावना को भी चोट पहुंची है। संविधान की एक-एक धारा को भी चोट पहुंची है। जब राजनीतिक दल अपने आप अपना लोकतांत्रिक चरित्र खो देते हैं। वो लोकतंत्र की रक्षा कैसे कर सकते हैं। विविधता वाले देश में संविधान एक सूत्र की तरह है। जो सबको एक साथ बांधकर रखता है। आजादी के बाद ही संविधान दिवस की शुरूआत होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। विरोध आज ही नहीं उस दौरान भी हुआ था। पारिवारिक पार्टियाँ देश के लिए चिंता का विषय है। कई दल अपना चरित्र खो चुके हैं  कुछ पार्टियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी एक ही परिवार के हाथ में है।  पार्टी की ब्यवस्था  एक ही परिवार के हाथ में होती है। जिससे देश का विकास रूक जाता है लोकतंत्र के हित में जनता  को आगे आने की जरूरत है। भ्रष्टाचारियों को सम्मान देने से बचना होगा।

महात्मा गांधी ने आजादी के आंदोलन में आधिकारों को लिए लड़ते हुए लोगों को कर्तव्यों के लिए भी तैयार करने की कोशिश की थी। अच्छा होता अगर देश के आजाद होने के बाद भी कर्तव्य पर उतना ही बल दिया गया होता जितना महात्मा गांधी जी ने दिया था। पीएम मोदी ने कहा महात्मा गांधी जी ने जो कर्तव्य के बीज बोए थे। वह बीज आजादी के बाद वो वट वृक्ष बन जाने चाहिए थे, लेकिन दुर्भाग्य से शासन व्यवस्था ऐसी बनी कि उसने अधिकार को ऐसे रखा की उनमें सुरक्षा की भरोसा नहीं मिल पाता था। अधिकार की बाते करके लोगों को एक अवस्था में रखा कि ‘हम हैं तो आपके अधिकार पूरे होंगे। वहीं सब अपने कर्तव्य को समझे तो देश विकास की ओर अग्रसर होगा। कर्तव्य के पालन से स्वस्थ समाज की रचना होती है। कर्तव्य के पथ पर अग्रसर होने पर अधिकार की गारंटी मिलती है। कर्तव्य का निष्ठापूर्ण पालन करने से सबका भला होगा

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